लेखनी कहानी -19-Nov-2022 चाहत-ए-खास

चाहत-ए-खास

जिसे दिल चाहता मेरा वही तो खास होता है, 
मुझे प्यारा लगे कोई वह मुझ में सांस बोता है।

उसी की याद में जीवित उसी के प्यार में जीवित, 
मुझे वह जान से प्यारा हमारी रूह सोता है।

भले तुम दूर हो मुझसे गए हो देश रक्षा हित,
तुम्हारी इस अदा से मन मिरा आशा पिरोता है।

रहूं गर्वित सदा तुम पर मगर दिल कैसे समझाऊं,
तुम्हारी याद का पर्वत उदधि गम में डुबोता है।

हिया बेकल ध्वनि बजती स्वरों में आह भरती है, 
मिलन की आस में अविरल मुझे आंसू भिगोता है।

बिरह आतुर रही मन में मुखर मुस्कान बिखराऊं,
दीवाना प्यार ये तेरा बदन कंटक चुभोता है।

करे फरियाद अब 'अलका' सहा ना जाए अब ये ग़म, 
कराहे आह की बंदिश मिलन की चाह बोता है।  

अलका गुप्ता 'प्रियदर्शिनी'
लखनऊ उत्तर प्रदेश।
स्व रचित मौलिक व अप्रकाशित
@सर्वाधिकार सुरक्षित।

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10 Comments

बहुत ही सुंदर सृजन

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अदिति झा

20-Nov-2022 09:19 PM

शानदार

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Rajeev kumar jha

19-Nov-2022 11:35 PM

बहुत खूब

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